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Thursday, April 30, 2020
ऋषि को याद कर शक्ति कपूर बोले- हम दोनों जन्मदिन साथ मनाते थे, लगता है ऊपर वाला हमसे नाराज हो गया है

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वेटरन एक्टर ऋषि कपूर के आकस्मिक निधन से उनके दोस्त और कई फिल्मों में उनके साथ काम कर चुके एक्टर शक्ति कपूर को काफी सद्मा पहुंचा है। उनका कहना है कि हमने करीब 25 साल तक साथ फिल्में की हैं और हमारी कई सारी यादें एक साथ जुड़ी हुई हैं। उनके साथ अपने अनुभव को लेकर शक्ति कपूर ने दैनिक भास्कर से खास बातें की।
शक्ति कपूर ने बताया, 'हम 22-23 साल की उम्र से एक साथ काम करते आ रहे हैं। हमनें याराना, हनीमून, इना-मीना-डिका, सरगम, कातिलों का कातिल, विजय, बोल राधा बोल, नसीब, प्रेम रोग, अमीरी-गरीबी, घराना जैसी दर्जनों फिल्में साथ की थीं। हमनें तकरीबन 25 साल तक एक साथ काम किया है।
'चिंटू मुझे जॉगिंग के लिए उठाने आता था'
उन्होंने बताया, 'जब हम फिल्म की शूटिंग करते थे तो चिंटू मुझे उठाने आता था कि चल जॉगिंग करने चलते हैं। हम साथ में एक्सरसाइज करते थे और उसके बाद फिल्म की शूटिंग के लिए सेट पर 9 बजे पहुंच जाया करते थे। जब फिल्म की शूटिंग खत्म हो जाती थी, तो उसके बाद हम अपना मेकअप उताकर वेन में बैठकर छोटे-छोटे ड्रिंक पीते थे। साथ ही पूरे दिन जो काम किया है, उसकी चर्चा किया करते थे।'
'वो मुझसे एक दिन छोटे थे'
आगे उन्होंने कहा, 'उनके साथ मेरी कई सारी यादें जुड़ी हुई हैं, यह बहुत ही कम लोगों को पता है कि मेरा जन्मदिन 3 सितंबर और चिंटू का 4 सितंबर को आता है। वो मुझसे 1 दिन छोटे थे और हम दोनों एक साथ अपना जन्मदिन मनाते थे। वे हमेशा दो या तीन केक मंगाया करते थे। हमने कई बार अपना जन्मदिन आरके स्टूडियो में मनाया है, तो कई बार उनके चेंबूर वाले घर में मनाया है। फिलहाल मैं इस बारे में आपसे ज्यादा बात नहीं कर पाऊंगा क्योंकि इस वक्त मैं अपने आप में नहीं हूं, मुझे यह यकीन नहीं हो रहा है कि चिंटू हमें छोड़कर चला गया है। 24 घंटे में दो कलाकारों का इस तरह छोड़कर जाना बहुत ही बुरा है।'
हमारे उनके साथ पारिवारिक संबंध
आगे उन्होंने कहा, 'चिंटू का परिवार और मेरा परिवार एक-दूसरे के बेहद करीब है। जब मेरी शादी हुई थी तब ऋषि कपूर की मां ने मेरी पत्नी को कहा कि अपने पति को घर लेकर आओ, जिसके बाद मैं थोड़ा डर सा गया था। लेकिन जब हम गए तो उन्होंने मुझे शगुन दिया था और साथ ही यह भी कहा था कि इस बच्ची का ध्यान रखना। इतना ही नहीं जब हमारे बच्चे छोटे हुआ करते थे तो तब चिंटू का परिवार और मेरा परिवार हम साथ में छुट्टियों के लिए बाहर जाया करते थे।
'दोनों को आखिरी विदाई नहीं दे सका'
शक्ति कपूर बोले, 'ऐसा लग रहा है जैसे कि फिल्म इंडस्ट्री को नजर सी लग गई है। किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि फिल्म इंडस्ट्री के दो बेहतरीन कलाकार अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार को जब इरफान खान की अंतिम विदाई हुई थी उसमें भी हम नहीं जा पाए और कुछ ऐसा ही आज भी हो रहा है। चिंटू को आखिरी बार देखना चाहता था लेकिन यह नहीं हो सकता जिसका दुख हमेशा रहेगा।
'लगता है ऊपरवाला हमसे नाराज हो गया'
आगे उन्होंने कहा 'मैंने जब से जन्म लिया है तब से ऐसा दौर नहीं देखा है और यही प्रार्थना करता हूं कि आने वाली पीढ़ी भी ऐसा दौर ना देखे। ऐसा लगता है कि ऊपर वाला हमसे नाराज हो गया है। पहले आंखों से आंसू आते थे लेकिन अब तो दिल से आंसू निकल रहे हैं। जब ये खबर मिली तो मैं और मेरी बीवी फूट-फूटकर रोए कि चिंटू हमे छोड़कर चला गया। दो बेहतरीन कलाकार हमें छोड़कर चले गए। बस यही दुआ करूंगा भगवान से कि उनके परिवारों को शक्ति दे इस दुख से उबरने के लिए।
'श्रद्धा बहुत डरी हुई है'
शक्ति बताते हैं कि दो बड़े कलाकारों की आकस्मिक मौत के बाद उनकी बेटी श्रद्धा बहुत डरी हुई है। उन्होंने कहा, 'श्रद्धा इस वक्त बहुत ही डरी हुई है और उसने मुझसे पूछा कि पापा ये जो चीजें हो रही है कहीं करोना की वजह से तो नहीं हो रही हैं। तो मैंने उससे कहा है कि अभी क्यों हो रहा है इसका जवाब तो इस वक्त मेरे पास नहीं है लेकिन सब जल्द ही ठीक हो जाएगा।'
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Inside the NBA's urgent decisions as it tries to finish this season

Should Wilder step aside and let Fury face Joshua next?

ऋषि कपूर के साथ काम कर चुके कलाकारों ने दी उन्हें श्रद्धांजलि, हर एक ने कहा- भरोसा नहीं होता वे अब नहीं हैं

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ऋषि कपूर के साथ काम कर चुके कलाकारों ने दी उन्हें श्रद्धांजलि, हर एक ने कहा- भरोसा नहीं होता वे अब नहीं हैं https://ift.tt/2WiSx28

ऋषि कपूर का अब हमारे बीच नहीं रहे। 67 साल की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार सुबह मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन में उन्होंने आखिरी सांस ली। इस बीच बॉलीवुड में ऋषि कपूर के साथ काम कर चुके दिग्गज कलाकारों ने अपनी श्रद्धांजलि शब्दों के रूप में साझा की। हर कोई उनके निधन से दुखी है।
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दोस्त को याद करके बोले शत्रुघन सिन्हा- ‘जिंदादिली का दूसरा नाम ऋषि कपूर था, जितने बढ़िया कलाकार थे उससे उम्दा इंसान थे’ https://ift.tt/3f9d8yL

साल 1981 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म 'नसीब', 'रणभूमि' और 'हवालात' जैसी कई फिल्मों में साथ नजर आ चुके शत्रुघन और ऋषि अच्छे दोस्त थे। दोनों फिल्मों के अलावा पर्सनल लाइफ में भी काफी करीब रहे हैं। अक्सर दोनों की मुलाकात भी होती रही है। गुरुवार सुबह दोस्त के गुजर जाने पर शत्रुघन ने उनकी खूब सराहना करते हुए शोक व्यक्त किया है।दैनिक भास्कर मेंउमेश कुमार को दिए एक इंटरव्यू में शत्रुघन ने अपनी आखिरी मुलाकात और उनके साथ किए यादगार काम पर बात की है।
इंटरव्यू के दौरान शत्रुघन ने कहा, 'संस्मरण सुनाने की स्टेज से तो अब निकल चुका हूं। संस्मरण सुनाने बैठे तो ऋषि कपूर के साथ हंसी मजाक और काम की बातें होती थी। वह बहुत ही उम्दा आदमी थे। इंडस्ट्री में अगर रोमांटिक हीरो की बात करें तो दो ही हीरो थे- राजेश खन्ना और ऋषि कपूर। इनके अलावा और कौन रहा है! ऋषि कपूर तो रोमांटिक हीरो के साथ-साथ बहुत पॉपुलर, रिलैक्स, फ्लैक्सिबल और कॉन्फिडेंट भी थे। इन्होंने दूसरे तरह के भी तमाम रोल किए। फिर तो चाहे मुल्क, हासिल आदि बेहतरीन फिल्में हों। मल्टी डॉमेस्टिक पर्सनालिटी थी। अभिनय की बात करें तो उनके सॉन्ग- डांस, अदायगी उम्दा रही। एक्टर के साथ-साथ डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी रहे। उन्होंने सबके साथ काम किया'।
मौत की खबर से हैंनिराश: 'वर्सेटाइल एक्टर थे उसमें तो दो राय नहीं है। कल इतना उम्दा कलाकार इरफान का जाना और आज हमारी आंखें खुलती है तो पता लगता है कि ऋषि कपूर की आंखें हमेशा के लिए बंद हो गई है। यह क्या मतलब है। एक के बाद यह दुखद घटना सुनकर हम लोग हताश और निराश हो गए हैं। लगता है इससे ज्यादा वक्त और क्या क्रूर हो सकता है'।
हाजिर जवाबी में थे माहिर:'ऋषि कपूर तो हमारे बहुत प्यारे दोस्त रहे हैं। हमने साथ में बहुत सारे काम भी किए। काफी हंसी मजाक किए और काफी हरकतें भी की। अभी बीमारी से लड़ाई लड़कर आए थे तो हम लोग साथ में घंटों बैठे थे। तमाम बातें हुई। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि जिंदादिली का दूसरा नाम ऋषि कपूर है। इतना सुंदर स्वभाव और उसे ज्यादा हाजिर जवाबी भी थे'।
ऐसी थी आखिरी मुलाकात:'अभी अमिताभ बच्चन की दिवाली पार्टी में मिलना हम लोग मिस कर गए थे। क्योंकि वह बहुत देर से आए थे। लेकिन उससे पहले हम लोग मैरियट होटल में मिले थे। वहां पर ताजदार अमरोही, राहुल रवैल और हम कुछ करीबी दोस्त थे। हम सब घंटों बैठे थे। वहां पर बातचीत हंसी मजाक का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि उन्हें देखकर लगता ही नहीं था कि वह अभी बीमारी से लड़कर या संघर्ष करके आए हैं। बहुत दिनों बाद अमेरिका से लौटकर आए थे तो एक डेढ़ बजे रात तक बैठे रहे। वह जितने बढ़िया कलाकार थे उससे उम्दा इंसान थे। जैसा बताया कि वह जिंदादिली और हाजिर जवाबी में आगे थे लेकिन उनको कोई लाइटली नहीं ले सकते थे। क्योंकि वह बहुत इंटेलेक्चुअल भी थे'।
हर जगह रखते थे नजर: 'सारी सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर उनकी नजर रहती थी। इसलिए बहुत ट्वीट भी करते थे। अमिताभ बच्चन जैसे एक-दो को छोड़कर बहुत कम लोग हैं, जिनकी सब चीजों पर नजर होती है। पॉलिटिक्स और समाज के बारे में अच्छे से अच्छे स्टार्स को एबीसीडी भी पता नहीं होती है'।
पढ़ने के थे शौकीन:लेकिन उनको हर चीज के बारे में खूब पता होता था कि क्या हो रहा है और हर चीज पर अच्छा खासा डिस्कशन भी करते थे। पढ़ने के बड़े शौकीन थे। नेशनल इंटरनेशनल मैगजीन अखबार को पढ़ते थे। ऋषि कपूर बहुत लकी भी थे और परिपक्व भी थे।
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'जब भी कहती थी क्या-क्या लिखते है आप अपने ट्विटर अकाउंट पर? तब एक ही जवाब देते थे ऋषि कपूर'- पूनम ढिल्लन ने सुनाया यादगार किस्सा https://ift.tt/2Wany8u

एक्ट्रेस पूनम ढिल्लन ऋषि कपूर के साथ 'ये वादा रहा', 'सितमगर' और 'एक चादर मैली सी' जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम कर चुकी हैं। प्रोफेशनल रिलेशनशिप के अलावा भी पूनम और ऋषि अच्छे दोस्त थे। एक्टर के निधन पर भास्कर के अमित कर्ण से बातचीत के दौरान पूनम ने उनसे जुड़ी कई खास बातें शेयर की हैं।
एक आखरी गुडबाय कहने का मौका भी नहीं मिला: सुबह उठते ही जब ऋषि जी का निधन होने की खबर सुनी तो समझ ही नहीं आया क्या रियेक्ट करू और किसीसे क्या कहूं? शायद शॉक शब्द से ज्यादा महसूस कर रही थी। उनके साथ मैंने तक़रीबन 8 से 9 फिल्में की थी और ना जाने हमारी कितनी यादें हैं। वो मेरे पसंदीदा एक्टर थे, मेरे फेवरेट को-स्टार थे, मैं उनकी बहुत बड़ी फैन थी। जिन्हे मैं एक्टिंग में अपना आइकन मानती थी वो हमसे दूर चले गए, इससे बड़ी दुःख की बात क्या हो सकती हैं? मुझे एक्टिंग बिलकुल नहीं आती थी, शूटिंग के दौरान ऋषिजी मेरी मदद करते थे। मैंने उनसे एक्टिंग सीखी थी। बहुत तकलीफ हो रही हैं ये सोचकर की मैं अपने फेवरेट व्यक्ति को आखरी बार देख भी नहीं पा रही हूं। लॉकडाउन की वजह से हम उन्हें श्रद्धांजलि भी नहीं देने जा सकते हैं। एक आखरी गुडबाय कहने का मौका भी नहीं मिला, दिल बहुत भारी हैं।
उन्हें डांटने की आदत भी थी: कुछ महीने पहले मुंबई के सेंत रेगिस होटल में हम एक कॉमन फ्रेंड की पार्टी में मिले थे। हमेशा की तरह खुश मिजाज थे, वैसे भी आप उनसे जब भी मिलेंगे वे खुश मिजाज ही नजर आते हैं (मुस्कुराते हुए)। मैं उनसे जब भी मिलती हूं उनके साथ एक तस्वीर जरूर लेती और मैंने अपनी आखिरी तस्वीर उनके साथ उसी पार्टी में ली थी। मैं अक्सर अपनी ली हुई पिक्चर उन्हें भेजा भी करती थी जिसे देखकर वे भी बहुत खुश होते थे। उन्हें ज्यादा तस्वीर लेने का शौक नहीं लेकिन जब देखते हैं तो काफी खुश होते हैं। कई बार तो मज़ाक भी करते थे मुझसे की मैं उनकी कितनी फोटोज लेती हूं। उन्हें डांटने की आदत भी थी लेकिन जिस अंदाज़ से वो डांटते थे उससे किसी को तकलीफ नहीं होती थी। एक अलग ही सेंस ऑफ ह्यूमर होता था।
ऋषि जी बनावटी नहीं थे, उनके जहन में जो बात आती थी वो कह देते थे: ऋषि जी अपने दिल में कोई बात दबा के नहीं रखते थे, उनके दिल में जो रहता वो उनके ज़ुबान तक आ ही जाता था। मैंने उनके साथ बहुत काम किया हैं और मैं जानती हूं की वे दिखावा कभी नहीं करते थे। इस उम्र में भी उनका इतना सोशली एक्टिव रहना काफी अच्छा लगता था। मैं कई बार उनसे कहां करती थी की 'क्या क्या लिखते है आप अपने ट्विटर अकाउंट पर? कुछ भी लिख देते हो।' इस पर उनका बस एक ही जवाब आता 'मैं ओनेस्ट हूं और मुझे अपना ओनेस्ट ओपिनियन लोगों के सामने रखना अच्छा लगता हैं। ऋषि जी पहले से बनावटी नहीं थे, उनके जहन में जो बात आती थी वो कह देते थे। इंडस्ट्री में उनकी इस नेचर की लोग काफी सराहना करते हैं। अपने यंगर डेज से वे बेबाक रहे हैं और जैसे जैसे बूढ़े होते गए उन्हें और आजादी मिल गई। जब सोशल मीडिया नहीं हुआ करता था तब उनके आस पास वाले ही उनका ओपिनियन सुन पाते थे लेकिन अब सोशल मीडिया की वजह से उनका सरकास्टिक टोन और सेंस ऑफ ह्यूमर सभी तक पहुंच जाते थे। बहुत ही शानदार और खुश मिजाज थे ऋषि जी।
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'कैरेक्टर रियलिस्टिक लगे, इसके लिए ऋषि कपूर जी ने सेट पर चप्पल तक पहनना त्याग दिया था'- 102 नॉट आउट डायरेक्टर उमेश शुक्ला ने की सराहना https://ift.tt/3d1tjMy

ऋषि कपूर ने अपने एक्टिंग करियर के दौरान कई सारी बेहतरीन फिल्में दी हैं। एक्टिंग सिर्फ उनका काम ही नहीं बल्कि उनका जुनून था। फिल्म '102 नोट आउट' और 'ऑल इज वेल' में ऋषि का निर्देशन कर चुके डायरेक्टर उमेश शुक्लाने बताया कि आखिरी फिल्म के दौरान उन्होंने सीन को रियलइस्टिक दिखाने के लिए चप्पल पहनना तक छोड़ दी थी। इसके अलावा भास्कर के अमित कर्ण को दिए इंटरव्यू में उन्होंने ऋषि के साथ काम करने के एक्सपीरिएंस को भी शेयर किया है।
मां को खोने पर भी बांधा रखा हौंसला
उनमें कमाल का धैर्य था। तभी कैंसर और ट्रीटमेंट का फेज वह निकाल सके। उनके लिए वो टाइम टफ था। वह इसलिए कि उनकी माता जी का भी देहांत उसी दौरान हुआ था, जब उनका इलाज चल रहा था। मां सबके लिए मां ही होती है। वह खोना कितना मुश्किल होता है। फिर भी उन्होंने वापसी की। दोबारा अपने कर्म के मैदान में उतरे।
ऐसी थी डायरेक्टर से ऋषि की पहली मुलाकात
वैसे हमारी पहली मुलाकात उनके घर पर हुई थी। कृष्णा राज बंगलो में मीटिंग तय हुई थी। मैंने ऑल इज वेल उनको नरेट की थी। वह बहुत स्ट्रेटफारवर्ड इंसान थे। उन्होंने पहली ही मीटिंग में स्क्रिप्ट को हां कह दिया था। फिर हम लोग शिमला गए थे। एक महीने वहां शूट किया था। हम लोगों ने काफी वक्त साथ बिताया था। एक ही होटल में थे हम लोग।
एक फिल्म फ्लॉप होने के बाद भी दिया मौका
वह फिल्म भले बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, लेकिन इससे उन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने उस फिल्म की बदौलत मुझे नहीं आंका कि मैं अच्छा या बुरा डायरेक्टर हूं। दोबारा जब मैं 102 नॉट आउट लेकर गया तो उन्होंने बिल्कुल नए सिरे से उस स्क्रिप्ट को सुना।
हर काम की रखते थे खबर
उनको सिर्फ एक्टिंग का ही चार्म नहीं था, बल्कि और भी जो बाकी संबंधित चीजें होती थी कॉस्टयूम, लाइटिंग उन सब के बारे में भी वह बहुत गहन जानकारी रखते थे। मिसाल के तौर पर इस फिल्म में भी बुजुर्ग वाले रोल में उन्हें पिछली फिल्म का अनुभव काम आया और वह इनपुट उन्होंने हमें प्रोवाइड किया। वह पिछली फिल्म कपूर एंड संस थी।
प्रोस्थेटिक मेकअप में लगते थे चार घंटे
उसमें मेकअप में उन्हें चार-साढे चार घंटे लगते थे, मगर उसकी बेसिक जानकारी होने से हमारी फिल्म पर इतना वक्त नहीं लगता था। यहां उनका मेकअप 3 घंटे में हो जाया करता था। उन्होंने काफी बारीकी से उस चीज को समझा था और इनपुट दिए थे। यहां तक कि कॉस्टयूम में भी उन्होंने काफी सजेशन दिए थे कि वह किस तरह के शर्ट पहनेंगे। पूरी फिल्म में उन्होंने, थोड़े स्टार्च वाले शर्ट पहने।
अपने कैरेक्टर पर किया था रिसर्च
वो पहली बार गुजराती शख्स का रोल प्ले कर रहे थे। तो उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने गुजराती दोस्तों और दूर के रिश्तेदारों से भी काफी पूछ कर गुजराती शख्स के लोगों के मैनरिज्म पर होमवर्क और रिसर्च किया। उस उम्र में भी उनका जुनून देखकर हम लोगों को प्रेरणा मिलती थी। वह इन सब चीजों पर तो काफी रिसर्च करते थे, लेकिन जब डायलॉग डिलीवरी और सीन शूट करने की बारी आती थी तो वहां पर वह स्पॉन्टेनियस रहते थे। नेचुरल फ्लोर दिखाने में यकीन रखते थे। मेथड में ज्यादा नहीं घुसते थे।
27 साल बाद बनी थी अमिताभ-ऋषि की जोड़ी
वह और बच्चन साहब 27 सालों के बाद दोबारा इस फिल्म पर काम कर रहे थे। लेकिन लगा ही नहीं कि इतने लंबे समय के अंतराल के बाद दोनों फिर से मिले हैं और काम कर रहे हैं। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों कल के ही मिले हुए हैं और दोबारा से सेट पर काम कर रहे थे। इस तरह की गहरी बॉन्डिंग दोनों के बीच दिख रही थी
छोड़ दियाथाचप्पल पहनना
दोनों ही डायरेक्टर्स एक्टर हैं। हमने जब उन्हें कहा कि हम लोग घर में चप्पल नहीं पहनते तो यकीन मानिए कि उन लोगों ने चप्पल पहनना तक छोड़ दिया शूटिंग के दौरान। भले उनका क्लोज शॉट होता था, मिड शॉट होता था या लॉन्ग शॉट में जब वह आ रहे होते थे। क्लोज शॉट में जरूरत नहीं थी कि वह चप्पल ना पहनें, मगर ऋषि कपूर जी इतने बारीक ऑब्जर्वर थे कि उनका कहना था कि अगर वह बिना चप्पल के ना रहे तो उनकी वॉक में चेंज आ जाएगा, इसलिए उन्होंने पूरे अनुशासित भाव से उस चीज का पालन किया।
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A first-round QB?! Inside Packers' gamble on Jordan Love and Aaron Rodgers

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'कैरेक्टर रियलिस्टिक लगे, इसके लिए ऋषि कपूर जी ने सेट पर चप्पल तक पहनना त्याग दिया था'- 102 नॉट आउट डायरेक्टर उमेश शुक्ला ने की सराहना

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Wednesday, April 29, 2020
लाडले रहे हैं ऋषि कपूर उर्फ चिंटू, दादा पृथ्वीराज कपूर से लेकर बेटे रणबीर तक ऐसा है कपूर खानदान

28 दिन पहले आखिरी ट्वीट कोरोनावायरस को लेकर किया था, डेढ़ साल तक कैंसर से जूझते रहे https://ift.tt/2ybW9Lp

वेटरन अभिनेता ऋषि कपूर नहीं रहे। गुरुवार सुबह करीब 5:20 बजे मुंबई के एचएन.रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 28 दिन से सोशल मीडिया से दूर थे। 2 अप्रैल को उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था, "सभी भाइयों और बहनों से अपील है कि कृपया हिंसा, पत्थर फेंकने या हत्या करने का सहारा न लें। डॉक्टर, नर्स, मेडिक्स, पुलिसकर्मी आदि आपको बचाने के लिए अपने जीवन को खतरे में डालते हैं। हमें इस कोरोनावायरस युद्ध को एक साथ जीतना होगा। प्लीज। जय हिन्द!"

गौरतलब है कि ऋषि करीब डेढ़ साल से कैंसर से जूझ रहे थे। उनकी इस साल की जर्नी पर डालते हैं एक नजर:-
29 सितंबर, जब पहली बार कहा- इलाज कराने जा रहा हूं
29 सितंबर 2018 को वे इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए थे। तब उन्होंने अपनी बीमारी का खुलासा तो नहीं किया था। लेकिन लोगों से कयास न लगाने की अपील जरूर की थी। ऋषि ने अपने ट्वीट में लिखा था, "सभी को हैलो, किसी चीज का इलाज कराने के लिए अमेरिका जा रहा हूं। मैं अपने चाहने वालों से ये गुजारिश करता हूं कि वो किसी तरह का बेमतलब कयास न लगाएं। मुझे फिल्मों में काम करते हुए 45 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। आप सभी के प्यार और दुआओं की बदौलत मैं जल्द ही लौटकर आऊंगा।'' इसके दो दिन बाद 1 अक्टूबर को उनकी मां कृष्णा राज कपूर का निधन हो गया था। लेकिन न तो ऋषि और न ही उनकी पत्नी नीतू और बेटे रणबीर कपूर उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो पाए थे।

जनवरी 2019: जब पहली बार मिले संकेत कि ऋषि को कैंसर है
अक्टूबर के पहले सप्ताह में कयास लगाए जाने लगे थे कि ऋषि को कैंसर है। लेकिन उनके भाई रणधीर ने ख़बरों का खंडन किया था और कहा कि जब तक जांच रिपोर्ट्स नहीं आ जातीं, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जनवरी 2019 में जब दुनिया नए साल का जश्न मना रही थी, तब अपनी एक पोस्ट में ऋषि की पत्नी नीतू ने संकेत दिए कि वे कैंसर से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, "हैप्पी 2019, इस साल कोई रेजोल्यूशन नहीं सिर्फ दुआएं करूंगी। दुनिया में कम से कम ट्रैफिक पॉल्यूशन हो। उम्मीद करती हूं कि भविष्य में कैंसर बीमारी नहीं, बल्कि एक राशि का नाम ही बन कर रहे।"

जनवरी 2019 : जब इलाज इलाज पर खुलकर बोले थे ऋषि
जनवरी 2019 के अंतिम सप्ताह में बॉलीवुड हंगामा से बातचीत में पहली बार ऋषि कपूर अपनी बीमारी पर खुलकर बोले थे। उन्होंने कहा था, "मेरा इलाज चल रहा है। उम्मीद है मैं जल्दी ही ठीक हो जाउंगा और भगवान ने चाहा तो वापसी करूंगा। यह उपचार प्रक्रिया लम्बी और थकाऊ है। इस परिस्थिति में धैर्य की बहुत जरूरत होती है, लेकिन यह गुण मेरे पास नहीं है। अभी मेरे पास कोई फिल्म नहीं है और न ही मैं इसके बारे में सोच रहा हूं। मैं अभी खुद को खाली और फ्रेश रखना चाहता हूं। यह ब्रेक मेरे उपचार में सहायक होगा।"
अप्रैल 2019: जब दोस्त राहुल रवैल ने बताया उन्हें कैंसर मुक्त
अप्रैल 2019 में ऋषि के खास दोस्त राहुल रवैल ने इस बात की पुष्टि कर दी कि वे कैंसर के इलाज के लिए ही न्यूयॉर्क गए थे। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, "ऋषि कपूर (चिंटू) को कैंसर से आजादी मिल गई।" रवैल की इस पोस्ट के बाद कई लोगों ने हैरानी जताई थी कि ऋषि इतने वक्त से इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।
10 महीने बाद ऋषि ने कहा था- कैंसर का इलाज चल रहा
अगस्त 2019 में ऋषि ने एक अखबार से बातचीत में अपने ट्रीटमेंट की जर्नी साझा की थी। उन्होंने कहा था, "मैं अपनी बीमारी को 10 महीनों को लंबी छुट्टियों की तरह देखता हूं। लेकिन मैं घर की बनीं नरम रोटियों और पॉम्फ्रेट मछली को बहुत मिस करता हूं क्योंकि मुझे इनका स्वाद यहां चखने को नहीं मिला। कैंसर और इसके इलाज ने मुझे काफी बदल दिया है। मैंने इस दौरान खुद को शांत रखना सीखा है। पहले मैं अपनी फैमिली और फैंस पर गुस्सा करता था। लेकिन अब काबू पाना मैंने सीख लिया है। मैं परिवार और फैंस का एहसानमंद हूं कि उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया और शुभकामनाएं भेजी। मेरी पत्नी नीतू चट्टान की तरह मेरे साथ खड़ी रहीं। मेरे परिवार ने मुझे लड़ने की ताकत दी।"
सितंबर 2019: जब 11 महीने 11 दिन बाद भारत लौटे थे ऋषि
10 सितंबर 2019 को ऋषि कपूर पत्नी नीतू के साथ भारत लौट आए थे। अपनी वतन वापसी की जानकारी ऋषि ने ट्विटर पर दी थी। उन्होंने लिखा था, "घर वापसी। 11 महीने 11 दिन। सभी का शुक्रिया।" इस दौरान की उनकी कुछ फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, जहां वे मुंबई एयरपोर्ट पर स्माइल के साथ फोटोग्राफर्स का अभिवादन कर रहे थे।

जनवरी 2020: दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुए थे
जनवरी 2020 के आखिरी सप्ताह में ऋषि को नई दिल्ली के एक अस्पताल में अचानक भर्ती कराया गया था। तब भी यही खबर आई थी कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। दरअसल, वे वहां अपनी फिल्म 'शर्माजी नमकीन' की शूटिंग कर रहे थे। तबियत बिगड़ने के बाद 31 जनवरी को वे अस्पताल में भर्ती हुए।
डिस्चार्ज होकर मुंबई पझुंचने के बाद ऋषि ने अपने एक ट्वीट में लिखा था, "प्रिय परिवारजनों, दोस्तों, विरोधियों और अनुयायियों मेरे स्वास्थ्य को लेकर आपके द्वारा जताई गई चिंता से मैं अभिभूत हूं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं पिछले 18 दिनों से दिल्ली में शूटिंग कर रहा हूं और प्रदूषण और न्यूट्रोफिल्स में कमी की वजह से मुझे इंफेक्शन हो गया था। जिसकी वजह से मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा। इस दौरान मुझे हल्का बुखार रहा और जांच के दौरान डॉक्टरों को एक पैच मिला, जिसकी वजह से निमोनिया हो सकता था, फिलहाल उसे ठीक किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि लोगों ने इस बारे में बिल्कुल ही अलग समझ लिया था। मैं उन सभी कहानियों को विराम दे दिया है और मैं आगे भी आपको मनोरंजन और प्यार देने के लिए तत्पर हूं। अब मैं मुंबई में हूं।"

इसके बाद वे वायरल बुखार के चलते मुंबई के एक अस्पताल में भी भर्ती हुए थे। लेकिन जल्दी ही वहां से उन्हें छुट्टी मिल गई थी। आखिरी बार 29 अप्रैल को सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें एचएन.रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और वे वापस नहीं लौट सके।
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लाडले रहे हैं ऋषि कपूर उर्फ चिंटू, दादा पृथ्वीराज कपूर से लेकर बेटे रणबीर तक ऐसा है कपूर खानदान https://ift.tt/2VPwjWA

बॉलीवुड के वेटरन एक्टर ऋषि कपूर ने बुधवार सुबह मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में अंतिम सांसे ली हैं। ऋषि कपूर सिर्फ फैंस के ही नहीं अपने परिवार के भी लाडले रहे हैं। उनके दादा पृथ्वीराज कपूर से लेकर पिता राज कपूर ने इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बड़ा योगदान दिया है। आइए जानते हैं कपूर खानदान के सदस्यों के बारें में।
4 सितम्बर 1952 में ऋषि कपूर ने राज कपूर और कृष्णा राज कपूर के घर जन्म लिया था। उनके तीन बेटे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर हैं और दो बेटियां रीमा जैन और नीतू नंदा हैं। ऋषि सभी भाई बहनों में दूसरे सबसे बड़े थे। वहीं स्वर्गीय एक्टर शम्मी कपूर और शशि कपूर ऋषि के अंकल थे। पिता, दादा और अंकल ने ऋषि कपूर के बॉलीवुड डेब्यू से पहले अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ते हुए बॉलीवुड में बड़ा मुकाम हासिल किया था। इसके बाद ऋषि ने पिता की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग की दुनिया मे कदम रखा। उन्होंने 1973 में आई फिल्म 'बॉबी' से लीड रोल निभाते हुए बॉलीवुड डेब्यू किया था।

आरके स्टूडियो में हुई थी ऋषि-नीतू की ग्रेंड वेडिंग
ऋषि कपूर ने साल 1980 में एक्ट्रेस नीतू सिंह से शादी की थी। शादी से पहले दोनों 15 फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं। दोनों की ग्रेंड वेडिंग सेरेमनी चैम्बूर के बॉम्बे प्रेसिडेंसी गोल्फ क्लब में हुई और रिसेप्शन आरके स्टूडियो में। उनकी शादी में फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी सितारे मौजूद थे। शादी के बाद दोनों के दो बच्चे रिद्धिमा और रणबीर कपूर हैं। जहां रणबीर कपूर आज बॉलीवुड के पॉपुलर एक्टर हैं वहीं रिद्धिमा कपूर इंडस्ट्री की बेहतरीन डिजाइनर हैं।

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04/29/20 9:32 PM
नहीं रहे ऋषि कपूर, अमिताभ बच्चन ने ट्वीट में लिखा- वे चले गए https://ift.tt/2YjqQJp

वेटरन अभिनेता ऋषि कपूर का निधन हो गया है। महानायक अमिताभ बच्चन ने सुबह करीब 9:30 बजे ट्विटर पर यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा, "वे चले गए। ऋषि कपूर चले गए। अभी-अभी निधन हुआ।" गौरतलब है कि ऋषि कपूर (67) को बुधवार देर रात मुंबई के एचएन.रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में एडमिट किया गया गया था। उनके भाई रणधीर कपूर ने इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से सिर्फ इतना कहा था, "वह अस्पताल में है। वह कैंसर से पीड़ित है और उसे सांस लेने में तकलीफ है, इसलिए उसे भर्ती कराया गया है। उसकी हालत अभी स्थिर है।"

ऋषि पिछले साल सितंबर में अमेरिका से भारत लौटे थे। वहां करीब एक साल तक उनका कैंसर ट्रीटमेंट चला। जानकारी के मुताबिक, ऋषि कपूर को चेस्ट इन्फेक्शन, सांस लेने में दिक्कत और हल्का बुखार थी। उनका कोविड-19 टेस्ट भी कराया गया था। दो स्पेशलिस्ट डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे।
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दीपक डोबरियाल ने बताया इरफान के साथ अपना अनुभव; बोले- वे भाई की तरह थे, काश उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाता

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दीपक डोबरियाल ने बताया इरफान के साथ अपना अनुभव; बोले- वे भाई की तरह थे, काश उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाता https://ift.tt/2yYvqCg

इरफान खान के खास दोस्त और उनके साथ 'हिंदी मीडियम' और 'अंग्रेजी मीडियम' जैसी फिल्मों में नजर आ चुके दीपक डोबरियाल ने इरफान से जुड़ी अपनी कुछ यादों को लेकर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि इरफान के साथ मेरी आखिरी मुलाकात 5 महीने पहले हुई थी। हम दोनों की ट्यूनिंग काफी अच्छी थी और हम भाइयों की तरह थे। काश मैं उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाता।
दीपक ने कहा 'इरफान खान से मेरी आखरी मुलाकात 5 महीना पहले 'अंग्रेजी मीडियम' की शूटिंग के दौरान लंदन में हुई थी। फिल्म का दूसरा पोर्शन वहीं पर शूट हुआ था। वहां पर वे अपना इलाज भी करवा रहे थे, लेकिन उन्होंने कभी किसी मेंबर को अपनी बीमारी का एहसास तक नहीं करवाया। वे नहीं चाहते थे कि उनके दुख की वजह से कोई और दुखी हो, जबकि यह बात सबको पता थी, पर उन्होंने कभी अपनी तकलीफ के बारे में किसी को बताया नहीं। वे नहीं चाहते थे कि उन्हें देखकर कोई सहानुभूति का भाव रखे। सेट पर पूरे समय उन्होंने सबके साथ बिल्कुल सामान्य और वास्तविक भाव रखा था।'
दीपक बोले- वे मुझे खूब सपोर्ट करते थे
आगे उन्होंने बताया, 'मैंने इरफान खान के साथ 'हिंदी मीडियम', 'अंग्रेजी मीडियम' सहित दो-तीन फिल्मों में काम किया। शूटिंग के बाद भी हमारी ट्यूनिंग अच्छी थी। हम भाइयों की तरह थे। वे मुझे बहुत सपोर्ट करते थे। मेरे बारे में डायरेक्टर से बोलते थे कि वह जो कर रहा है उसे करने देना, रोकना मत। उनके साथ शूट करने में ऐसा लगता था कि सीन में होने के बाद भी वे पीठ थपथपा रहे हैं। मुझे तो अभी भी नहीं लग रहा है कि वह हमारे बीच में नहीं है।'
इरफान के लिए प्रार्थना करने मंदिर गए थे
दीपक के मुताबिक 'मार्च 2018 में जब उन्होंने पहली बार ट्वीट पर अपनी बीमारी के बारे बताया तो मुझे भी पहली बार तब ही पता चला था। उस समय मैं 'लाल कप्तान' की शूटिंग कर रहा था। फिर तो उस फिल्म के काफी क्रू मेंबर प्रार्थना करने के लिए मंदिर गए थे। इस फिल्म की शूटिंग रामात्रा में हो रही थी। उनके साथ मैं भी गया था।'
काश उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाता
दीपक ने आगे कहा, 'हमारी ट्यूनिंग इतनी अच्छी थी कि वे हर जगह मुझे सपोर्ट करते थे। उन्होंने मुझे 'ब्लैकमेल' और 'करीब-करीब सिंगल' फिल्म भी ऑफर की थी। लेकिन किन्ही वजहों से मैं ये फिल्में कर नहीं पाया था, पर वे चाहते थे कि मैं फिल्में करता रहूं। उनका इस तरह से सहयोगी स्वभाव था। इरफान भाई की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि अगर कोई सीन में जान डालता है, उसे रियल करता है, तब वे उसे बहुत सपोर्ट करते थे। उनके साथ बैठना ही यादगार है। उनकी यादों में दीवान लिख सकता हूं लेकिन अभी इस हालत में नहीं हूं कि और बात कर सकूं। काश उनके अंतिम यात्रा में शामिल हो पाता लेकिन हम सब लाक डाउन में फंसे हैं।'
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निमरत कौर ने कहा इरफान बस यही कहते थे - जब भी अपने हक का वक्त आए तो उसे पूरी तरह जी लो https://ift.tt/2VNfP11

एक्ट्रेस निमरत कौर इरफान खान के साथ फिल्म 'लंचबॉक्स' में नजर आ चुकी हैं। ऐसे में इरफान खान के निधन के बाद को-एक्टर ने उनकी कही बातों को याद करते हुए इसे इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है।
एक्ट्रेस ने कहा, ‘इरफान बहुत ही उम्दा इंसान थे और अपनी जड़ों से जुड़े हुए इंसान और मिडल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते थे। मैंने उनके साथ एक फिल्म जरूर की है लेकिन उस फिल्म में हमारे एक भी सीन साथ में नहीं है, लेकिन जब भी हम प्रमोशंस के लिए एक दूसरे के साथ जाया करते थे, मुझे उन्हें जानने का मौका मिला और खासकर तब जब कान्स फिल्म फेस्टिवल में फ़िल्म रिलीज हुई थी उस वक्त। अगर उनके सेंस ऑफ ह्यूमर की बात करे तो वो बहुत ही बेहतरीन था। लोगों की ओर उनके देखने का नजरिया काफी अलग था और उनकी दुनिया को लेकर एक अलग ही सोच थी और वही उनके काम में भी झलकता था बहुत ज्यादा’।

आगे उन्होंने बताया, ‘मुझे याद है जब कान्स फिल्म फेस्टिवल में लंच बॉक्स रिलीज हुई थी जब फिल्म का प्रीमियर था उसके बाद आसपास बहुत शोर था फ़िल्म लोगो को बहुत पसंद आयी थी। सराह रहे थे फ़िल्म को और जब एकाएक ही सारी चीज आपके सामने आए जो आपने उम्मीद ना की हो तो आप थोड़े से डर जाते हैं। मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ जिसके बाद मैंने इरफान से पूछा कि आप क्या करने वाले है इस परिस्थिति से निकलने के लिए। उस वक्त इरफान ने मुझे कहा था कि देखो बहुत ही वक्त अपने हक काआता है और जब आए तो उसे पूरी तरह जी लो क्योंकि पता नहीं क्या अब वह वापस कब आएगा। इरफान ने कहा था कि जब भी हमारे साथ अच्छा हो तो उसे एक तोहफे की तरह लो और खुशियां मनाओ ऐसा समझो कि कोई आपकी स्ट्रगल को ब्रेक देने आया है। भगवान ने एक गिफ्ट भेजा है आपके लिए तो उस वक्त उसे आप पूरी तरीके से इंजॉय कीजिए। बहुत ही बेहतरीन इंसान थे ऐसा बहुत ही कम होता है कि किसी एक एक्टर के जाने से सभी को एक ऐसा एहसास होता है जैसे कि उसने कुछ खो दिया है चाहे वह उस एक्टर को खुद पर्सनली जाने या ना जाने और यह मैं देख रही हूं कि यह इरफान के जाने से वह है और यह बहुत ही बड़ा लॉस है इंडस्ट्री के लिए जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता है’।
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‘चाणक्य' के आखिरी दिन शूट ख़त्म होने के बावजूद घंटों सेट पर ही बैठे रहे थे इरफान, नम आंखों से बोले थे - थैंक यू https://ift.tt/2VMfQT8

एक्टर इरफान खान ने फिल्मों में अपनी पहचान बनाने से पहले कई टेलीविजन शो में बेहतरीन किरदार निभाए हैं। इरफानके निधन पर 'चाणक्य' सीरियल के डायरेक्टर और राइटर डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने उनका एक किस्सा याद किया है। उन्होंने बताया है कि शो के आखिरी दिन इरफान घंटो सेट पर बैठे हुए थे।
चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इरफान को याद करते हुए बताया, ‘1990 में इरफ़ान खान से मुलाकात हुई थी। उस वक्त में चाणक्य सीरियल की तैयारी कर रहा था। इरफ़ान का पहला काम मैंने 'भारत एक खोज' में देखा था जिसमे उनका काम लाजवाब था। उनके एक मित्र हैं इशांत त्रिवेदी जो की नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के उनके बैच मेट भी थे। मैंने उनसे इरफ़ान के बारे में पूछा और उन्हें अपनी शो में लेने की बात रखी।जब 'भारत एक खोज' की शूटिंग ख़त्म हुई तब मेरी मुलाकात इरफ़ान से हुई, उस वक्त में 'चाणक्य' के पायलट की तैयारी कर रहा था’।

आगे उन्होंने कहा, ‘मुझे अब भी याद हैं जिस दिन इरफ़ान का आख़िरी दिन था 'चाणक्य' के सेट पर वो शूटिंग ख़त्म होने के बावजूद सेट से गए नहीं थे। मैं उस वक्त एक खाट पर बैठकर कुछ लिख रहा था और मैंने देखा की इरफ़ान घंटों तक सेट पर मंडरा रहे हैं। शुरूआती में मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन कुछ देर बाद मैंने उसे कहाँ की जाओ अब अपने घर। तुम्हारा काम हो चुका है। हर बार में ये बात कहता और हर बार वो बस यही कहता की हाँ, हाँ, मैं जा हूँ। लेकिन वो जाता नहीं था। दिन ख़त्म हुआ तब इरफ़ान मेरे बाजु में आकर खड़े हो गए। मैंने उनसे पूछा की क्या बात हैं, जा क्यों नहीं रहे हो? उस वक्त उनकी आँखों में आंसू थे और वे सिर्फ एक 'थैंक यू' बोलने के लिए इंतज़ार कर रहे थे। वो अपने इमोशंस में इतने थे कि सिर्फ 'थैंक यू' बोलने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। कई घंटे बिता दिए थे। ऐसे लोग कहां हैं जो अपने डायरेक्टर को धन्यवाद दे’।
उनके जैसा एक्टर अब मिलना बहुत मुश्किल हैं
डायरेक्टर ने उनकी कास्टिंग पर बात करते हुए बताया, 'चाणक्य के लिए इरफान के दोस्त इशांत त्रिवेदी ने गारंटी ली थी। उनके काम की तारीफ़ हर कोई करता था। वही तारीफ़ सुनकर मैंने इस शो का प्रस्ताव रखा। तक़रीबन एक साल तक हमने साथ में काम किया और यकीन मानिये उनके जैसा एक्टर अब मिलना बहुत मुश्किल हैं’।
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पेकअप के बाद अगले दिन की स्क्रिप्ट के लिए पीछे पड़ जाते थे इरफान, 'द ग्रेट मराठा' और 'चंद्रकांता' के शाहबाज खान ने याद किया किस्सा https://ift.tt/3f7NYAC

एक्टर इरफान खान अपने टेलीविजन करियर के दौरान एक्टर शाहबाज खान और मुकेश खन्ना के साथ दो सीरियल्स द ग्रेट मराठा और चंद्रकांता में काम कर चुके हैं। एक्टर के अचानक हुए निधन पर उनके को-एक्टर्स ने उनके काम और लगन का किस्सा सुनाते हुए पुराने दिनों को याद किया है।
सेट पर हर कोई उनकी सरलता और मेहनत की तारीफकरता था
‘मैंने और इरफ़ान खान ने सबसे पहले 'द ग्रेट मराठा' में काम किया था जिसे संजय खान ने प्रॉड्यूस किया था। उस शो में वे नजीब खान रोहिला का किरदार निभा रहे थे। शूटिंग के दौरान, सेट पर हर कोई उनकी सरलता और मेहनत की तारीफ़ करता था। मुझे याद हैं हमारे डायरेक्टर कहां करते थे की इरफ़ान तुम्हारे अंदर कला का भंडार हैं जिसके बारे में उन्हें खुद नहीं पता। बतौर एक्टर तो लोग उनसे प्रोत्साहित होते ही हैं लेकिन उससे ज्यादा उनकी रियल ज़िन्दगी काफी प्रोत्साहित हैं। जब कुछ नहीं था तब तो वे सरल और साधी ज़िन्दगी जीते ही थे लेकिन सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने अपनी सादगी नहीं छोड़ी। मैंने उनकी ज़िन्दगी के दोनों पहलु देखें हैं’।
पेकअप के बाद भी असिस्टेंट डायरेक्टर को पकड़कर उनके पीछे पड़ जाते थे:
'द ग्रेट मराठा' के सेट पर उनका काम के प्रति उनका जज्बा किसी से छुपा नहीं था। मुझे याद हैं उस जमाने में जब शूटिंग का पैकअप हो जाता था तब हम सभी अपने रूम में चले जाते थे आराम करने के लिए, लेकिन इरफान खान पेकअप के बाद भी असिस्टेंट डायरेक्टर को पकड़कर उनके पीछे पड़ जाते थे। जब तक उनको अगले दिन की स्क्रिप्ट नहीं मिलती थी तब तक वो सेट से हिलते नहीं थे। अगले दिन का स्क्रिप्ट लेकर जाते थे, खूब प्रैक्टिस करते और फिर दूसरे दिन कैमरा के सामने आते। जिस तरह वो अपनी एक्टिंग से मोहब्बत करते थे वो देखकर सेट पर मौजूद हर व्यक्ति हैरान रह जाता था। मुझे याद हैं हमने एक सीन शूट किया था उस फ्रेम में हम दोनों थे। मेरी एक्टिंग देखकर इरफ़ान मेरी काफी तारीफ़ करने लगा और कुछ देर बाद जब वो सीन दोबारा शूट हुआ तो इरफ़ान ने उससे भी ज़बरदस्त परफॉरमेंस दिया। सभी लोग उनकी तारीफ़ करने लगे और यकीन मानिये उस सीन में मैं कहीं नज़र ही नहीं आता। ऐसे थे इरफ़ान खान।
शो की शूटिंग जयपुर में हुआ करती थी जहां इरफ़ान रहा करते थे। शूटिंग के दौरान उनकी मां मौजूद हुआ करती थी। कई बार इरफ़ान के साथ-साथ हम सभी के घर का खाना लाया करती थी और हम सब मिलकर उनके साथ सेट पर वक्त बिताते।

इसीलिए उन्होंने 'चंद्रकांता' के लिए हामी भरी....
‘शुरुआत में वे 'चंद्रकांता' सीरियल नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनका फोकस केवल फिल्म ही था। उस वक्त मैं शो का लीड रोल निभा रहा था। एक बातचीत के दौरान मैंने इस शो का एक्सपीरियंस शेयर किया और बातों ही बातों में ये शो करने की बात रखी। उस वक्त उनके पास कोई प्रोजेक्ट नहीं था और इसीलिए उन्होंने 'चंद्रकांता' के लिए हामी भरी। उनके करैक्टर काफी पॉपुलर हो गया था’।
मुकेश खन्ना ने शेयर किया अनुभव
‘एक दिन जब मैं संजय खान के साथ बैठकर शूटिंग देख रहा था तब मैंने संजय से कहा था कि लड़का बहुत ही अच्छा है कमाल का एक्टर है। जिस पर संजय खान ने कहा था कि यह कमाल का डायलॉग बोलता है। उनकी एक्टिंग इतनी नेचुरल एक्टिंग हुआ करती थी कि उनकी आंखें बोलती थी’।

इस नुकसान को कभी भरा नहीं जा सकता
‘मैं उनकी एक्टिंग की जितनी भी तारीफ करो वह सब कम है जिस तरीके से मक्खन में से चाकू निकाल लो पता नहीं चलता ठीक उसी तरीके से वह एक्टिंग किया करते थे इस तरीके से आप किया करते थे जिस तरीके से मानो कोई फर्क ही नहीं लग रहा हो सारी चीजें अपने आप हो रही हैं आसानी से ऑपरेशन किया करते थे डायलॉग बोल दिया करते थे सबसे अच्छे एक्टर की निशानी है और उनकी तारीफ होती है और मैं बस यही कहूंगा कि इंडस्ट्री का काफी बड़ा लॉस है काफी छोटी उम्र में हमें छोड़ चला गया है और चंद्रकांता की बात करो तो मुझे याद है वह पूरी रात शूटिंग किया करते थे’।
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